बरहन में कई प्रधान पद के प्रत्याशियों को समाज से ही मिल रही फटकार

बरहन में कई प्रधान पद के प्रत्याशियों को समाज से ही मिल रही फटकार

अभी से जीत का कर रहे प्रत्याशी अपना-अपना दावा

बरहन पंचायत का है बड़ा चुनाव

प्रत्याशियों के छूट जाएंगे पसीने
चुनाव के दौरान समाज के लोगों की आ रही गुटबाजी सामने

आगरा चुनाव का बिगुल बजने के बाद पंचायतों में हलचल मचाने लगी है जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे चुनाव की गर्मी भी बढ़ रही है प्रत्याशी और उनके समर्थक दिन रात मेहनत करने में लगे हुए हैं लेकिन कई प्रत्याशियों के समाज में उन्हें फटकारा भी जा रहा है लेकिन सभी प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत का दावा करने में अभी से लगे हुए हैं बरहन पंचायत चुनाव कई गांवों से जुड़कर होता है पिछले चुनाव में भी बड़े-बड़े प्रत्याशी धराशाई हो गए थे और एक चाय बेचने वाले ढाबा संचालक की पत्नी को पंचायत की कमान जनता ने दी थी इस बार भी कुछ आंकड़ा इसी प्रकार बनता जा रहा है अपने आप को दिग्गज मानने वाले लोगों से कुछ जनता संतुष्ट नहीं है जनता का मूड है कि ऐसे लोग को जिता कर लाया जाए जो जनता का काम कर सके बड़े-बड़े लोगों के दरवाजे 10:00 बजे खुलते हैं और शाम होते ही बंद हो जाते हैं तो ऐसे लोगों के यहां गरीबों की कोई कीमत नहीं होती फिर गरीबों का कार्य कैसे होगा इसी को लेकर जनता के बीच चर्चा हे के ऐसे व्यक्ति को कमान दी जाए जो हर समय जनता के लिए दरवाजे खोल कर सोता हो अभी तो जीत का सभी दावा करने में लगे हैं लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएगा कई बार उलटफेर होते रहेंगे चुनावी ऊंट किस करवट बैठता है यह तो समय ही बता सकता है चुनाव में गर्मी जब तेज होगी जब प्रत्याशियों के पर्चे दाखिल हो जाएंगे अभी तो अनेकों ऐसे प्रत्याशी हैं जैसे-जैसे चुनाव आएगा रास्ते से हट जाएंगे कुछ प्रत्याशियों के पीछे विभीषण की भी सेना लगी हुई है जो अपना कार्य करने में लगी है प्रत्याशियों के साथ रहकर सेना और सेना के पदाधिकारी यह देखने में लगे हैं कि किसकी दुकान में कितनी सौदा है और किसका पल्ला भारी है उसी आधार पर यह सेना अपना कार्य करेगी चुनाव में विभीषणो की अहम भूमिका रहती है ऐसे ही लोग चुनाव को उलटफेर कर देते हैं चुनाव में एक कहावत जरूर चलती है जिसकी जितनी पहरेदारी उसकी उतनी दावेदारी चुनाव के दौरान अंतिम चरण में प्रत्याशी और उसके समर्थक जनता के बीच रहकर जितनी पहरेदारी कर लेंगे उतना ही उस प्रत्याशी को फायदा मिलेगा नहीं तो रास्ता साफ होता चला जाएगा बरहन पंचायत में कई समाज ऐसे हैं जो अभी भी सोचने में लगे हैं कि किस प्रत्याशी को समर्थक दिया जाए मौजूदा स्थिति में कई प्रत्याशियों की स्थिति डामाडोल है अपने मुंह मियां मिट्ठू जरूर बन रहे हैं लेकिन जनता के अंदर उनका अभी कोई महत्व नहीं माना जा रहा आगे देखना यह होगा कि इस पंचायत में प्रत्याशी अपना क्या गुल खिलाते हैं

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