नई दिल्ली:- कोई भी सजा भुगतने को तैयार है मणिशंकर अय्यर

नई दिल्ली:- व्यूरो रिपोर्ट भारत Tv अरुण शर्मा 

मणिशंकर अय्यर ने कहा-बयान से पार्टी को हुआ नुकसान तो कोई भी सजा भुगतने को तैयार

मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘नीच’ क्या कहा बीजेपी को कांग्रेस के खिलाफ एक बड़ा हथियार मिल गया है, जिसे वह पूरी तरह से गुजरात चुनाव में इस्तेमाल कर रही है. पार्टी से निलंबन के बाद मणिशंकर अय्यर ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी गुजरात में अच्छी जीत हासिल करेगी और अगर पार्टी को कोई नुकसान हुआ तो वह इसके लिए कोई भी सजा भुगतने को तैयार हैं.

मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए और गुजरात चुनाव में इसका कांग्रेस को कहीं खामियाजा न भुगतना पड़े, इस आशंका की वजह से, इसलिए राहुल गांधी ने खुद मोर्चा संभाला. उन्होंने न सिर्फ मणिशंकर अय्यर को माफी मांगने को कहा, बल्कि तत्काल ही उन्हें कांग्रेस से निलंबित भी कर दिया गया.

पार्टी को हुआ नुकसान तो रहेगा अफसोस  

जब उनसे पूछा गया कि क्या उनको इस बात का एहसास है कि उनके बयान से कांग्रेस पार्टी को गुजरात में जबरदस्त नुकसान हो सकता है और बीजेपी उसे मुद्दा बना रही है, तो उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो उन्हें इसका बेहद अफसोस होगा.

मणिशंकर अय्यर ने कहा कि अगर उनके किसी भी बयान की वजह से कांग्रेस पार्टी को कोई भी नुकसान होता है तो उन्हें इस बात का बेहद अफसोस होगा, क्योंकि उनका ऐसा इरादा बिल्कुल भी नहीं था. अय्यर ने कहा कि अगर ऐसा होता है और उनके बयान का खामियाजा कांग्रेस पार्टी को भुगतना पड़ता है तो इसके लिए पार्टी उन्हें जो भी सजा देती है उसे वह भुगतने को तैयार हैं.

अभी तक पार्टी हाईकमान से कोई बातचीत नहीं हुई

लेकिन साथ ही मणिशंकर अय्यर ने यह भी कहा कि उनकी इतनी अहमियत नहीं है कि उनके एक बयान का चुनाव पर कोई पड़ा असर होगा. जब उनसे यह पूछा गया कि क्या इस बयान देने के बाद उन्हें कांग्रेस पार्टी की तरफ से कुछ कहा गया, तो उन्होंने जवाब दिया कि इस बारे में उनकी पार्टी हाईकमान से अभी तक कोई बातचीत नहीं हुई है.

अपने बयानों की वजह से अक्सर अपनी पार्टी को मुश्किल में डालने वाले मणिशंकर अय्यर ने जबसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीच और असभ्य कहा, इस मामले ने तूल पकड़ लिया. मणिशंकर अय्यर ने बाद में सफाई देते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री को नीची जाति का कहने की उनकी कोई मंशा नहीं थी, लेकिन हिंदी भाषा पर अच्छी पकड़ नहीं होने की वजह से उनकी बात का ऐसा मतलब निकाला गया.

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