एक बार में कई तत्काल टिकट बुक करने वाले सॉफ्टवेयर CBI के रडार पर

एक बार में कई तत्काल टिकट बुक करने वाले सॉफ्टवेयर CBI के रडार पर

रेलवे की ऑनलाइन टिकट बुकिंग वेबसाइट IRCTC में सेंध लगाने वाले अब सीबीआई के रडार पर आ गए हैं. सेंधमारी करने वाले ये ट्रैवल एजेंट जिन ऑनलाइन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं, उन पर सीबीआई की नजर है.

जल्दी और एक साथ कई टिकट हो जाते हैं बुक

एजेंसी सूत्रों के मुताबिक CBI ने अपने ही प्रोग्रामर अजय गर्ग के खिलाफ जांच के दौरान पाया कि काफी संख्या में ऐसे ही सॉफ्टवेयर एक तय कीमत पर आसानी से उपलब्ध हैं. गर्ग ने ऐसा ही एक अवैध सॉफ्टवेयर बनाया था.

‘NEO’ सॉफ्टवेयर से हो रही सेंधमारी

रेलवे टिकटिंग प्रणाली में सेंध लगाने के लिए इन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है. इनके जरिए बुकिंग प्रक्रिया की गति बढ़ जाती है और कई टिकट बुक हो जाते हैं. सूत्रों ने बताया कि ‘NEO’ सॉफ्टवेयर गर्ग ने बनाया है. इस सॉफ्टवेयर की तरह कई प्रोग्राम हैं, जो ऑनलाइन उपलब्ध हैं.

छानबीन जारी, होगी कार्रवाई

एक अधिकारी ने बताया कि ऐसे सभी सॉफ्टवेयर जांच के दायरे में हैं. हम उनकी छानबीन कर रहे हैं और उनके संचालन में कोई गड़बड़ी पाए जाने पर जल्द ही कार्रवाई करेंगे. सूत्रों ने बताया कि सॉफ्टवेयर ‘ऑटो फिल’ प्रणाली पर काम करते हैं जिसके तहत काफी संख्या में टिकट चाहने वाले लोगों का ब्योरा डाल दिया जाता है और IRCTC की वेबसाइट पर सुबह 10 बजे तत्काल टिकट की बुकिंग शुरू होने से पहले उन्हें तैयार रखा जाता है.

नहीं डालना पड़ता IRCTC का कैप्चा कोड

उन्होंने बताया कि ये सॉफ्टवेयर PNR जारी करने की प्रक्रिया तेज कर देते हैं और इनमें IRCTC का कैप्चा भी नहीं डालना पड़ता. साथ ही कई आईडी से लॉगिन हो जाता है और एक ही समय पर महज एक क्लिक से काफी संख्या में टिकट बुक हो जाते हैं.

बुकिंग एजेंट कमा रहे काफी पैसा

सीबीआई प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने कहा कि इस तरह के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल IRCTC नियम कायदों के मुताबिक अवैध है. यह रेल अधिनियम के तहत भी अवैध हैं. यह भी आरोप है कि आरोपी कुछ बुकिंग एजेंटों द्वारा ऐसे सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल पर पैसे लिया करता था और इन हरकतों से काफी पैसा कमा लिया था.

CBI का असिस्टेंट प्रोग्रामर गिरफ्तार

उन्होंने बताया था कि सीबीआई ने इसके सॉफ्टवयेर बनाने और एक तय कीमत पर उसे एजेंटों को उपलब्ध कराने को लेकर असिस्टेंट प्रोग्रामर और उसके एक सहयोगी अनिल गुप्ता को गिरफ्तार किया है. गौरतलब है कि गर्ग (35) एक चयन प्रक्रिया के जरिए 2012 में सीबीआई में शामिल हुआ था और एक असिस्टेंट प्रोग्रामर के तौर पर काम कर रहा था. इससे पहले वह 2007 से 2011 के बीच आईआरसीटीसी में था, जो टिकटिंग प्रणाली को संचालित करता है.

14 जगह सीबीआई कर चुकी है छापेमारी

आरोप है कि अजय गर्ग ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर डेवलप किया था, जो सीधा आईआरसीटीसी के तत्काल टिकट बुकिंग सिस्टम में सेंध लगाता था. इस मामले में सीबीआई ने दिल्ली, मुंबई और जौनपुर समेत 14 स्थानों पर छापेमारी की कार्रवाई की. इस सीबीआई टीम ने 89.42 लाख की नकदी, 61.29 लाख के गहने, 2 सोने की ईंटे और 15 लैपटॉप जब्त किए हैं.

बिटकॉइन में लेता था पैसा

आरोपी अजय गर्ग बिटकॉइन और हवाला नेटवर्क के जरिए रकम हासिल करता था. आरोपी ने यह अवैध सॉफ्टवेयर उसी वक्त बनाया था, जब उसकी तैनाती आईआरसीटीसी में थी. इस सॉफ्टवेयर के जरिए वह उपयोगकर्ताओं के लिए एक बार में 800 से 1000 हजार टिकट बुक कर सकता है. इस काम के लिए प्रॉक्सी और विदेशी सरवर का इस्तेमाल करता था. दूसरा आरोपी अनिल गुप्ता बिटकॉइन, हवाला नेटवर्क और नकदी के तौर पर अजय गर्ग को रकम देता था. सीबीआई के मुताबिक मुंबई और जौनपुर में अनिल गुप्ता के दो-दो घर हैं.

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