तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में आज क्या हुआ और क्यों हुआ?

तीन तलाक बिल पर राज्यसभा में आज क्या हुआ और क्यों हुआ?

तीन तलाक को जुर्म घोषित कर उसके लिए सजा मुकर्रर करने वाला बिल आज राज्यसभा में पेश हो गया. हालांकि विपक्ष की उसे सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग और सरकार के इससे इनकार से ऐसा हंगामा हुआ कि उपसभापति ने सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी. अब दोनों पक्ष एक-दूसरे की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं और अपने पक्ष को लेकर सफाई दे रहे हैं.

राज्यसभा में पेश हुआ बिल

तीन तलाक बिल शुक्रवार को लोकसभा में तकरीबन सर्वसहमति से पास हो गया. महज पांच घंटे की बहस और बिना किसी संशोधन के इस बिल को बीजेपी और कांग्रेस सहित सभी दलों ने ज्यों का त्यों पास कर दिया. बिल के लिए आवश्यक है कि ये राज्यसभा से भी पास हो ताकि राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद इसे कानून बनाया जा सके. राज्यसभा में आज कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल को पेश किया लेकिन विपक्ष ने लगभग एक स्वर में इसे स्थायी समिति के पास भेजने की मांग कर डाली.

विपक्ष के रुख से बैकफुट पर आई सरकार

कांग्रेस सहित बाकी विपक्ष के इस बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने से सरकार हैरान थी. सरकार का तर्क था कि कांग्रेस सहित जिन पार्टियों ने लोकसभा में बिना दिक्कत के बिल को पास करा दिया वे राज्यसभा में बदले स्टैंड के साथ कैसे आ सकती हैं. दूसरी ओर विपक्ष का तर्क था कि सदन की अपनी एक प्रक्रिया है और वो उसी का पालन कर रही हैं. बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग जायज और जरूरी है.

जेटली ने दिया 6 महीने का तर्क

सरकार की ओर से वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने का विरोध किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जब तीन तलाक को अवैध करार दिया था, तब छह महीने के भीतर कानून बनाने को कहा था. वो छह महीने 22 फरवरी को पूरे हो रहे हैं इसलिए सदन को तत्काल बिल को पास कराना चाहिए. दूसरी ओर कांग्रेस नेता आनंद शर्मा का कहना था कि 22 फरवरी में अभी वक्त है. बजट सत्र इसी महीने के अंत में शुरू हो जाएगा तब तक बिल पर सेलेक्ट कमेटी विचार करे और इसे और मजबूत कानून की शक्ल दे ताकि बिल की खामियों को दूर किया जा सके. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि कोर्ट ने जब छह महीने का समय दिया था तब ये भी कहा था कि ये महीने तब पूरे होंगे जब कानून बन जाएगा. इस तरह सरकार वक्त का बहाना बनाकर जल्दबाजी नहीं कर सकती.

विपक्ष ने रखे संशोधन, चेयर ने बताए-वैध

राज्यसभा में बिल पेश होने के बाद विपक्ष की ओर से दो संशोधन पेश किए गए. जेटली ने ये कहकर इन संशोधनों का विरोध किया कि कांग्रेस परंपरा का पालन नहीं कर रही है और संशोधन के लिए 24 घंटे पहले सूचना देनी होती है लेकिन तीखी बहस के बाद उपसभापति पी जे कुरियन ने इस संशोधनों को वैध माना. इसके बाद विपक्षी सदस्य इन संशोधनों पर वोटिंग की मांग करने लगे लेकिन सत्ता पक्ष की ओर से कुछ सदस्य हंगामा करने लगे. इसपर चेयर ने सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी.

कांग्रेस की रणनीति

सदन की कार्यवाही के बाद कांग्रेस की ओर से रंजीत रंजन ने कहा कि ये साजिश है. बीजेपी कर्नाटक चुनाव तक ट्रिपल तलाक का मुद्दा जीवित रखना चाहती है. विपक्ष डिविजन की मांग कर रहा था लेकिन सरकार राज्यसभा स्थगित करने पर अड़ गई. कांग्रेस का दावा है कि बिल के समर्थन में केवल बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल थे. सरकार की सहयोगी शिवसेना भी इसके विरोध में थी.

17 पार्टियां इस बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजना चाहती थीं. सरकार ने डरकर वोटिंग होने ही नहीं दी. कांग्रेस ने ऐसा कर मुस्लिमों के बीच ये संदेश पहुंचाने की कोशिश की है कि उसने उनके हितों को लेकर लड़ना बंद नहीं किया है.तीन तलाक को जुर्म घोषित कर उसके लिए सजा मुकर्रर करने वाला बिल आज राज्यसभा में पेश हो गया. हालांकि विपक्ष की उसे सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग और सरकार के इससे इनकार से ऐसा हंगामा हुआ कि उपसभापति ने सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी. अब दोनों पक्ष एक-दूसरे की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं और अपने पक्ष को लेकर सफाई दे रहे हैं.

राज्यसभा में पेश हुआ बिल

तीन तलाक बिल शुक्रवार को लोकसभा में तकरीबन सर्वसहमति से पास हो गया. महज पांच घंटे की बहस और बिना किसी संशोधन के इस बिल को बीजेपी और कांग्रेस सहित सभी दलों ने ज्यों का त्यों पास कर दिया. बिल के लिए आवश्यक है कि ये राज्यसभा से भी पास हो ताकि राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद इसे कानून बनाया जा सके. राज्यसभा में आज कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल को पेश किया लेकिन विपक्ष ने लगभग एक स्वर में इसे स्थायी समिति के पास भेजने की मांग कर डाली.

विपक्ष के रुख से बैकफुट पर आई सरकार

कांग्रेस सहित बाकी विपक्ष के इस बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने से सरकार हैरान थी. सरकार का तर्क था कि कांग्रेस सहित जिन पार्टियों ने लोकसभा में बिना दिक्कत के बिल को पास करा दिया वे राज्यसभा में बदले स्टैंड के साथ कैसे आ सकती हैं. दूसरी ओर विपक्ष का तर्क था कि सदन की अपनी एक प्रक्रिया है और वो उसी का पालन कर रही हैं. बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग जायज और जरूरी है.

जेटली ने दिया 6 महीने का तर्क

सरकार की ओर से वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने का विरोध किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जब तीन तलाक को अवैध करार दिया था, तब छह महीने के भीतर कानून बनाने को कहा था. वो छह महीने 22 फरवरी को पूरे हो रहे हैं इसलिए सदन को तत्काल बिल को पास कराना चाहिए. दूसरी ओर कांग्रेस नेता आनंद शर्मा का कहना था कि 22 फरवरी में अभी वक्त है. बजट सत्र इसी महीने के अंत में शुरू हो जाएगा तब तक बिल पर सेलेक्ट कमेटी विचार करे और इसे और मजबूत कानून की शक्ल दे ताकि बिल की खामियों को दूर किया जा सके. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि कोर्ट ने जब छह महीने का समय दिया था तब ये भी कहा था कि ये महीने तब पूरे होंगे जब कानून बन जाएगा. इस तरह सरकार वक्त का बहाना बनाकर जल्दबाजी नहीं कर सकती.

विपक्ष ने रखे संशोधन, चेयर ने बताए-वैध

राज्यसभा में बिल पेश होने के बाद विपक्ष की ओर से दो संशोधन पेश किए गए. जेटली ने ये कहकर इन संशोधनों का विरोध किया कि कांग्रेस परंपरा का पालन नहीं कर रही है और संशोधन के लिए 24 घंटे पहले सूचना देनी होती है लेकिन तीखी बहस के बाद उपसभापति पी जे कुरियन ने इस संशोधनों को वैध माना. इसके बाद विपक्षी सदस्य इन संशोधनों पर वोटिंग की मांग करने लगे लेकिन सत्ता पक्ष की ओर से कुछ सदस्य हंगामा करने लगे. इसपर चेयर ने सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी.

कांग्रेस की रणनीति

सदन की कार्यवाही के बाद कांग्रेस की ओर से रंजीत रंजन ने कहा कि ये साजिश है. बीजेपी कर्नाटक चुनाव तक ट्रिपल तलाक का मुद्दा जीवित रखना चाहती है. विपक्ष डिविजन की मांग कर रहा था लेकिन सरकार राज्यसभा स्थगित करने पर अड़ गई. कांग्रेस का दावा है कि बिल के समर्थन में केवल बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल थे. सरकार की सहयोगी शिवसेना भी इसके विरोध में थी. 17 पार्टियां इस बिल को सेलेक्ट कमेटी को भेजना चाहती थीं. सरकार ने डरकर वोटिंग होने ही नहीं दी. कांग्रेस ने ऐसा कर मुस्लिमों के बीच ये संदेश पहुंचाने की कोशिश की है कि उसने उनके हितों को लेकर लड़ना बंद नहीं किया है.

बीजेपी की रणनीति

सरकार किसी भी रूप में तीन तलाक पर खुद को सदन में अल्पमत में नहीं दिखाना चाहती. अगर वोटिंग होती और संशोधन मंजूर हो जाते तो उसकी किरकिरी होती क्योंकि उसके सहयोगी ही बिल के खिलाफ थे. ऐसे में उसने वोटिंग न होने देने का रास्ता चुना. बीजेपी अब सदन के बाहर तीन तलाक पर विपक्ष खासकर कांग्रेस पर हमलावर रहेगी कि उसने तीन तलाक का बिल पास नहीं होने दिया और मुस्लिम महिलाओं की जगह मुस्लिम कट्टरपंथियों का पक्ष सदन में मजबूत किया.

सरकार किसी भी रूप में तीन तलाक पर खुद को सदन में अल्पमत में नहीं दिखाना चाहती. अगर वोटिंग होती और संशोधन मंजूर हो जाते तो उसकी किरकिरी होती क्योंकि उसके सहयोगी ही बिल के खिलाफ थे. ऐसे में उसने वोटिंग न होने देने का रास्ता चुना. बीजेपी अब सदन के बाहर तीन तलाक पर विपक्ष खासकर कांग्रेस पर हमलावर रहेगी कि उसने तीन तलाक का बिल पास नहीं होने दिया और मुस्लिम महिलाओं की जगह मुस्लिम कट्टरपंथियों का पक्ष सदन में मजबूत किया.

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