एत्मादपुर खूनी सड़क नेताओं पर नहीं कोई फर्क, कहां सो गए खादीधारी कब बनेगी सड़क, बिना रिश्वतखोरी के नहीं किया जाता कोई काम

भूपेंद्र भारद्वाज मौत

आगरा एत्मादपुर विधानसभा की कई सड़कें ऐसी हैं जहां हर रोज खून बहता दिखाई देता है खादी धारियों को कुछ दिखाई नहीं देता अधिकारी भी आंखें बंद कर बैठे हुए हैं किसी की मौत हो कोई घायल हो कोई किसी से लेना देना नहीं केवल वोट के समय जनता के तलवे चाटे जाते हैं उसके बाद क्या हो रहा है क्या नहीं कोई लेना देना नहीं है हर रोज किसी न किसी परिवार का चिराग बुझ जाता है परंतु किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ता खून पीने वाली सड़क जानलेवा हो चुकी हैं इसका जिम्मेदार कौन है ऐसे हादसों में किसके खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए हादसों के कारण हर रोज पुलिस को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है लेकिन नेता मस्त जनता पस्त जब काफिला के लिए जनता की जरूरत होती है तो घर-घर न्योता दिया जाता है और गाड़ियां भेजी जाती हैं की भीड़ एकत्रित होनी चाहिए उनका जलवा दिखाना है कि हमारे साथ कितनी जनता है लेकिन वही जनता के लोग किसी काम के लिए नेताओं के पास जाते हैं तो उन्हें पहचानते नहीं क्योंकि ठेकेदार उन्हें लेकर जाते हैं और नेता नहीं इसलिए उनकी पहचान नहीं होती काम के लिए जाने वाली जनता को केवल एक ही जवाब मिलता है तुमने हमें वोट नहीं दिया दूसरे के साथ रहे हो क्या अब हमारे साथ हो शर्मिंदा होना पड़ता है जब चुनाव आते हैं तो नेता जनता के तलवे चाटते हुए दिखाई देते हैं लेकिन जब चुनाव खत्म हो जाते हैं नेता बन जाते हैं तो जनता नेताओं के दरवाजे खटखटा कर परेशान हो जाती है लेकिन कोई साथ नहीं देता नेताओं के चमचे अपनी दबंगई पर उतर आते हैं और हर किसी के साथ कुछ भी करने को तारु हो जाते हैं पीड़ित जनता थाने चौकियों पर जाती है और नेताओं से सिफारिश करती है तो उल्टा उनको ही धमकाया जाता है आरोपियों का साथ दिया जाता है यह एक सरकार की बात नहीं जहां हर सरकार में नेताओं के चमचों का यही हाल होता आया है खाकी दादी को नौकरी करनी है इसलिए दबाव में सब काम किए जाते हैं क्योंकि सरकार किसकी होगी उसी का दबदबा होता है और उसी नेता का कहना मानना पड़ता है लेकिन पूछ ईमानदार आईपीएस आईपीएस और पुलिसकर्मी ऐसे आते हैं जो दूध का दूध पानी का पानी करते हैं उन्हें केवल नौकरी कर लिए कहीं भी करनी उन्हें कोई लालच नहीं होता ऐसे अधिकारियों को नेता क्षेत्र में रहने नहीं देते क्योंकि नेताओं के इशारे पर नाचने वाले अधिकारी और पुलिसकर्मी चाहिए जो उनके इशारे पर नाचते रहे लेकिन कुछ ऐसे अधिकारी और पुलिसकर्मी होते हैं जो नाचने को तैयार नहीं होते हैं तो उन्हें दूसरी जगह फेंक दिया जाता है नेताओं की मानसिकता ऐसी होती है जो उनके गुण गाएगा उसी को कुर्सी मिलेगी नहीं तो नजरों से दूर रहना पड़ेगा चापलूसी हर जगह चलती है चापलूस अधिकारी पुलिसकर्मी मौज मस्ती करते हुए दिखाई देते हैं यह एक विभाग का मामला नहीं है हर विभाग में इसी प्रकार का हाल चल रहा है जिस नेता का आशीर्वाद अधिकारियों पर होता है उनकी बल्ले बल्ले हो जाती है और जो मानने को तैयार नहीं होता उसकी मिट्टी खराब होती है तमाम घोटाले निकलकर सामने आते हैं लेकिन कार्रवाई के नाम पर ढाक के तीन पात होते हैं सड़क हादसों में हर रोज सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है लेकिन नेताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ता एत्मादपुर विधानसभा की कई सड़कें ऐसी हैं हर रोज हादसे होते हैं और लोगों की जान चली जाती है नेता केवल परिवार के लोगों के साथ बैठकर उनका दुख दर्द पूछते हैं लेकिन उन अधिकारियों को आदेश नहीं देते जिनके कारण यह हादसा हो रहा है अगर सड़कें सही कर दी जाए तो शायद हादसे होने से रुक जा सकते हैं परंतु उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता क्यों उनके परिवार का कोई सदस्य इस हाथी का शिकार नहीं होता इसलिए उन पर क्या बीतेगी आगरा से जलेसर जाने वाले रोड पर मुढी गांव पर बड़ी-बड़ी करते हैं हर रोज हादसा होते हैं तमाम लोगों की जान जा चुकी है लेकिन कोई देखने वाला नहीं मुड़ी चौराहे से एत्मादपुर जाने वाले रास्ते का बुरा हाल है 33 फीट गहरे गड्ढे हैं हादसा होता रहता है जान चली जाती है

बुधवार को भी सड़क हादसे में बाइक सवारों की मौत हो गई लेकिन किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता सड़क पर बने इन गड्ढों का जिम्मेदार कौन है नेता या फिर विभागीय अधिकारी इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए क्योंकि समय रहते अगर कार्य सही हो तो लोगों की जान नहीं जाए मुड़ी चौराहे से खंदौली के लिए जाने वाले रोड का क्या हाल है यह तो हर कोई जानता है लेकिन कहने वाला कोई नहीं है कहे किससे क्योंकि जिसके कानों पर जूं रेंग जाए उसे कहा जाता है नेता गाड़ियों में सवार होकर जाते हैं उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं देता ऐसा नहीं है कि विधानसभा एत्मादपुर में छोटे-मोटे नेता हो प्रदेश लेवल से लेकर राष्ट्रीय लेवल तक के नेता एक विधानसभा में निवास करते हैं लेकिन काम के लिए उनके दरवाजे पर जाने वाली जनता को निराशा हाथ लगती है एक विभाग की बात नहीं है तमाम विभागों में तमाशा चल रहा है बिजली विभाग का हाल बुरा हाल है इस सरकार में जितनी बिजली कटौती होती है उस समय सपा सरकार की याद आ जाती है कि सपा सरकार में जिस तरह बिजली कटौती की जाती थी उसी आधार पर इस सरकार में भी कटौती कर दी जाती है आखिर अधिकारियों पर शिकंजा क्यों नहीं कहा जाता रिश्वतखोरी की बात की जाए तो सभी सरकारों को पीछे छोड़ दिया है विभागीय अधिकारी खुलेआम पैसा लेकर काम करते हैं लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती नेता दावा करते हैं कि इस सरकार में रिश्वतखोरी बंद कर दी गई है लेकिन ऐसा नहीं है किसी भी विभाग में चले आओ खुलेआम रिश्वतखोरी होती है अधिकारी खुलेआम कहते हैं कितने पैसा चाहिए तब काम होगा अन्यथा नहीं क्योंकि कुछ नेताओं के चमचे महीने धारी अधिकारियों से लेते हैं नेताओं को जानकारी हो या नहीं हो लेकिन अधिकारियों को जानकारी है उन्हें महीने दारी देनी होगी राशन डीलरों की बात की जाए तो एक राशन कार्ड पर 1 किलो राशन कम दिया जाता है और पैसा पूरा लेते हैं आखिरकार ऐसा क्यों अपने हिसाब से थोड़ी करते हैं उसमें भी कम देते हैं लेकिन किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ता अधिकारियों से बात की जाती है तो अधिकारी उल्टा जवाब देते हैं कोई शिकायत नहीं करता तुम क्यों शिकायत करते हो शिकायती पत्र दो तो कार्रवाई करेंगे इसका मतलब है कि शिकायती पत्र देकर अधिकारियों की जेब गर्म हो जाती है कहते हैं कि तुम्हारे खिलाफ शिकायत आई है और अगर शिकायत नहीं करोगे तो कुछ नहीं होता इसलिए प्रार्थना पत्र मांगते हैं भू माफियाओं ने तो हद कर के रख दिए सपा सरकार में नारा लगाया जाता था विपक्षी पार्टी ना लगाती थी कि सपा सरकार का नारा है खाली प्लॉट हमारा है लेकिन इस सरकार में कुछ गुंडे मवाली प्लाट मकान जमीनों पर कब्जा करने में लगे हुए हैं अधिकारियों के पास जाएं तो अधिकारी नामर्द हो चुके हैं केवल उनका आदेश होता है कि कोर्ट की शरण लोग कोर्ट में जाओ तब हमारे पास आना लेकिन जब पैसा लेने की बात होती है तो खुद जज बन कर काम करते हैं ऐसा क्यों तमाम लोगों ने दूसरी की जमीन पर कब्जा कर रखा है खुलेआम जमीन को लेकर पथराव फायरिंग हत्या होती हैं लेकिन इन जमीनों के बटवारा को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखा था ग्राम पंचायत की जमीनों पर ग्राम प्रधान से लेकर तमाम लोगों का कब्जा है अगर आम जनता 1 इंच भी जमीन इधर से उधर कर देती है तो लेखपाल से लेकर एसडीएम तक हावी हो जाते हैं और उन्हें जेल भेजने की धमकी देते हैं लेकिन नेता जमीन घेर लेते हैं उन पर कोई कार्यवाही नहीं होती जमीनी विवाद की मुख्य कड़ी लेखपाल हैं ग्राम पंचायतों में जमीन की नाप कॉल करने के लिए लेखपाल तैनात किए गए हैं लेखपालों का कारनामा हर रोज सामने आता है जो पैसा देता है उसी का हक जमीन पर दिखाते हैं और दूसरे की जमीन को अवैध बता दिया जाता है जबकि ऐसा नहीं है नापतोल में लेखपाल दिक्कत करते हैं इसी कारण गांव-गांव जमीनी रंजिश चल रही है अगर दोषी लेखपालों पर अधिकारी कार्रवाई करें तो गांव के अंदर आपसी रंजिश खत्म हो सकती है परंतु करेगा कौन सबको महीने दारी पहुंचने है बच्चे भी पालते हैं लेकिन जनता के लोगों की जान चली जाए उसका कोई फर्क नहीं पड़ता

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