पीडीपी प्रवक्ता का विवादित बयान , आतंकियों की हत्या पर शोक जताने पर कोई रोक नही..?.?.?
*पीडीपी प्रवक्ता का विवादित बयान , आतंकियों की हत्या पर शोक जताने पर कोई रोक नही..?.?.?*
*पीडीपी प्रवक्ता रफी अहमद मीर ने कहा है कि कश्मीर में आतंकवादियों की हत्या पर शोक प्रकट करने पर कोई रोक नहीं है। उनके बयान से विवाद खड़ा हो गया है।*
*पार्टी की पुरानी नीति…!*
*जम्मू और कश्मीर में सत्तारूढ़ पीडीपी के मुख्य प्रवक्ता रफी अहमद मीर ने कहा है कि चाहे सीआरपीएफ का जवान हो या स्थानीय आतंकवादी, शोक प्रकट करने पर कोई रोक नहीं है। यह सुरक्षा की स्थिति पर निर्भर करता है। कई बार हम शामिल होते भी हैं और कई बार नहीं भी होते हैं। सत्ता में आने से पहले भी पार्टी के नेता सुरक्षाबलों के अभियान में मारे गए स्थानीय आतंकवादियों के परिजनों से मिलने की नीति रही है।*
*मौत किसी की हो दुर्भाग्यपूर्ण…!*
पहले भी जब कोई आतंकी मारा जाता था, मैं उसके परिवार से मिलकर शोक जाहिर किया करता था। उस दौरान पार्टी प्रमुख भी यही किया करते थे। इसके पीछे हमारी सोच यह होती है कि जो भी मरता है, वो ईश्वर के सामने होता है। जब भी कोई पुलिसकर्मी मारा जाता है या कोई स्थानीय आतंकी, ये दोनों ही घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं और हम इसकी आलोचना करते हैं। सोपोर ब्लास्ट पर दुख व्यक्त करते हुए मीर ने कहा कि वो एक हृदय विदारक घटना थी। हमें उम्मीद थी कि हालात बेहतर हो रहे हैं, लेकिन हमें ऐसा झटका लगा। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। वो हमारे अपने बेटे थे।
*जायज ठहराना तर्कसंगत नहीं..!*
जम्मू और कश्मीर के नेताओं का आतंकियों के मारे जाने के बाद शोक सभा में शामिल होना हमेशा से विवाद को विषय रहा है। लेकिन ये कहना है कानूनन शोक सभा में शामिल होने पर रोक नहीं, तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उसे जायज ठहराना किसी भी दृष्टि से उचित भी नहीं है।
*सही या गलत अल्लाह के हाथ में..!*
कश्मीर में जो कुछ हो रहा है उसमें कौन शहीद है और कौन नहीं, इसका फैसला अल्लाह के हाथ में है। ऐसा इसलिए कि कश्मीर का राजनीतिक अस्तित्व आजादी के समय से ही विवादित है। ऐसे में शोक सभा में शामिल होने की घटना को आप गलत कैसे कह सकते हैं।