मध्य प्रदेश मां बाप को घर से निकालने वाले बहू बेटा पर कार्रवाई
*माता-पिता को घर से निकालने वाले बेटो व बहु को कारावास और जुर्माने से दण्डित किया गया।*
नरेन्द्र गहलोत
नीमच। न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी, नीमच द्वारा तीन आरोपीयों जिसमें एक महिला भी हैं को माता-पिता को प्रताडित कर घर से निकालने के आरोप का दोषी पाते हुए कारावास और जुर्माने से दण्डित किया गया।
जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्री आर. आर. चौधरी द्वारा घटना की जानकारी देते हुुए बताया कि फरियादीगण महेशचन्द्र व पुष्पाबाई के चार बच्चे हैं, जिसमें तीन पुत्र एवं एक पुत्री हैं। एक पुत्र अत्रिज मुम्बई में तथा एक पुत्री ईला इन्दौर में रहती हैं। फरियादीगण अपने पुत्र शिवंक के साथ तीलक मार्ग, घण्टा घर के पास, नीमच में तीन मंजीला बने मकान में रहते थे, जिसमें तल मंजील पर बर्तनों की दुकान बनी हैं, प्रथम मंजील पर फरियादीगण रहते हैं तथा दुसरी मंजील पर पुत्र शिवंक निवास करता हैं। फरियादी महेशचंन्द्र पिछले लगभग 15 वर्ष से दमे की बिमारी से पीडित हैं। वर्ष 2008 में शिवंक का विवाह पूनम से हुवा। विवाह के बाद से ही शिवंक व उसकी पत्नी पूनम ने फरियादीगण को परेशान करना शुरू कर दिया। आरोपीगण शिवम् व पूनम ने बर्तन की दूकान का व्यवसाय अपने नाम करा लिया तथा दोनो फरियादीगण की रसोई अलग करते हुवे उन्हें राशन व दवाईया लाने के लिए रूपये भी देना बंद कर दिया। वर्ष 2012 में जब फरियादी महेशचन्द्र की तबीयत ज्यादा खराब हो गई तब बडा पुत्र आरोपी तनय दोनो माता-पिता को अपने साथ इन्दौर ले गया। थोडे दिन तो तनय ने उन्हें अपने पास अच्छे से रखा फिर छोटी-छोटी बातो को लेकर उसने फरियादीगण को परेशान करना शुरू कर दिया और ताने देने लगा कि तुम्हारी वजह से हमारी इज्जत खराब हो रही हैं, फिर दिनांक 3 फरवरी 2013 को उसने अपने माता-पिता को घर से निकाल दिया। जब फरियादीगण वापस नीमच आये तो शिवंक व पूनम ने उनके कमरे मंे रखा सारा सामान दूसरे कमरे में रखकर उसमें ताला लगा दिया। अंततः आरोपीगण द्वारा दी गई प्रताडता से परेशान होकर दोनो फरियादीगण ने दिनांक 11.03.2017 को अपने दोनो पुत्रो व बहू के विरूद्ध पुलिस थाना नीमच कंेट में धारा 24 माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकांे का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 के अंतर्गत एफ.आई.आर. लेखबद्ध कराई गई जिसे अपराध क्रमांक 443/2013 के अंतर्गत पंजीबद्ध किया गया। पुलिस थाना नीमच केंट द्वारा विवेचना पूर्ण कर चालान न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।इस प्रकरण में विचारण के दौरान ही फरियादी महेशचन्द्र की दिनांक 26.07.2016 को मृत्यु हो गई, जिसके अंतिम संस्कार में दोनो पुत्र शिवंक, तमय व बहू पूनम शामिल नहीं हुई। अभियोजन द्वारा माता पुष्पाबाई एवं अन्य आवश्यक साक्षीयों के बयान न्यायालय में कराये गये, जिससे आरोपीगण के विरूद्ध अपराध को प्रमाणित करने में सफलता प्राप्त हुई। दण्ड के प्रश्न पर अभियोजन द्वारा न्यायालय में तर्क रखे गये कि जिन माता-पिता ने बचपन से पाला-पोसा, पढाया-लिखाया और शानो शौकत से विवाह कराया, उन आरोपीगण द्वारा वृद्ध व बीमार माता-पिता की उचित देखभाल करने के स्थान उनको प्रताडित कर घर से निकाल दिया गया, जो की आरेापीगण की असंवेदनशीलता व अमानवीय व्यवहार को दर्शाता हैं और समाज में इस प्रकार बढती प्रवृत्ति को देखते हुए कठोर दण्ड से दण्डित किया जाना चाहिए, जिससे समाज में अच्छा संदेश पहुॅचे। अभियोजन के तर्को से सहमत होते हुए श्री मनोज कुमार राठी, न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी, नीमच द्वारा आरोपीगण (1) शिवंक पिता महेशचंन्द्र कसेरा, उम्र 34 वर्ष, (2) तमय पिता महेशचन्द्र कसेरा, उम्र 36 वर्ष तथा (3) पूनम पति शिवंक कसेरा, उम्र 31 वर्ष, तीनो नीवासी-68 तीलक मार्ग, घण्टाघर के पास, नीमच को धारा 24 माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकांे का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 के अंतर्गत 03-03 माह के कारावास एवं 1000रू. के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। अर्थदण्ड की राशि 3000रू को प्रतिकर के तौर पर फरियादीया पुष्पाबाई को प्रदान कराया गया। न्यायालय में शासन की ओर से श्री विवेक सोमानी, सहायक जिला अभियोजन अधिकारी द्वारा पेैरवी की गई।