योगी का दबदबा कायम

लखनऊ। विधानसभा की नौ सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों ने सिद्ध कर दिया है कि चुनाव के दौरान जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जादू जमकर चला। जहां उनके बटेंगे तो कटेंगे… के नारे का असर दिखाई दिया। । वहीं मिशन-2027 के लिए भारतीय जनता पार्टी के संगठन और सरकार के लिए अभी भी चुनौतियां बरकरार हैं। चुनौतियां ओबीसी व दलितों को आत्मसात कर 50 फीसदी वोट प्रतिशत को पाने की। समाजवादी पार्टी के लिए, 2027 में जहां ‘पीडीए’ फार्मूले के स्थायीत्व को सिद्ध करना अहम सवाल बनेगा। वहीं चुनाव परिणामों ने बसपा के लिए वोट बैंक में लगती सेंध से निपटने के जुगत तलाशने का भी संदेश दिया है। सभी नौ विधानसभा सीटों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार और संगठन के जरिये आक्रामक और असरकारी चुनाव प्रचार किया। उन्होंने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव द्वारा दिए गए ‘पीडीए’ के नारे को सपा के परिवारवाद, माफिया तंत्र, अपराध, कानून-व्यवस्था व बटेंगे तो कटेंगे के नारे के जरिये भोथरा करने की कोशिश की।
इस नारे के जरिये भाजपा को लोकसभा चुनावों में हार का दंश झेलना पड़ा था। मुख्यमंत्री के साथ ही भाजपा का पूरा संगठन चुनाव में पुरजोर ताकत के साथ जुटा रहा लेकिन समाजवादी पार्टी ने कई सीटों मसलन, मझवां और कटेहरी में जिस तरह की टक्कर दी है। उसने साफ कर दिया है कि भाजपा के लिए मिशन-2027 में राह इतनी आसान नहीं होगी।

भाजपाके लिए ओबीसी और दलित अभी चुनौती
मझवां में भाजपा ने ओबीसी सुचिस्मिता मौर्य को मैदान में उतारा था। वहीं सपा ने भी ओबीसी डा. ज्योति बिद को टिकट दिया था। दोनों ओबीसी समाज के प्रत्याशियों में जहां ओबीसी वोटों को लेकर टक्कर हुई वहीं बसपा के दीपक तिवारी ने सवर्णों खासतौर पर ब्राह्मणों को वोट घसीट कर 34 हजार का आकड़ा पार कर दिया। ऐसी ही स्थिति कटेहरी में भी रही।

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