आगरा बरहन पुलिस नहीं लिखती मुकद्दमा पीड़ितों को देती है गालियां

बरहन पुलिस नहीं लिखती मुकद्दमा देती है गालियां (1) 2 दिन से भटक रहा पीड़ित (2)पीड़ित की बेटी से हुई थी छेड़छाड़ ( 3) तहरीर देने के बाद भी नहीं लिखा मुकद्दमा (4) पीडित को थाने के मुंशी ने दी भद्दी भद्दी गालियां आगरा यूपी की पुलिस आखिरकार कभी नहीं सुधर सकती चाहे DGP या आगरा के पुलिस कप्तान के आदेश पुलिस की नजर में केवल एक कागज का टुकड़ा है यह हम नहीं कह रहे यह उनकी ही खाकी पुलिस कह रही है वैसे तो आगरा के पुलिस कप्तान अमित पाठक का नाम चर्चाओं में रहता है फिर भी उनकी पुलिस पीड़ितों के साथ कैसा व्यवहार करती है यह तो पीड़ित ही बता सकते हैं ऐसा ही एक मामला थाना बरहन के एक गांव का है जहां 2 दिन पहले एक नाबालिक लड़की से छेड़छाड़ कर दी पीड़ित द्वारा पुलिस को तहरीर देने के बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं किया जांच में पहुंची पुलिस ने राजनीतिक दबाव के चलते पीड़ित परिवार को धमका दिया कह दिया कि अगर छेड़छाड़ का मुकदमा लिखाया तो हम तेरे ऊपर हरिजनएक्ट का मुकदमा लगाऐंगे क्योोकि आरोपी SC बगं से हे
[पुलिस पीड़ित परिवार को धमकाने में लगी हुई है सोमवार की सुबह पीड़ित परिवार लड़की को लेकर थाने पहुंचा तो थाने पर तैनात मुंशी चंद्रप्रकाश ने सभी हदें पार करते हुए पीड़ित परिवार को लड़की के सामने गाली गलौज दी और कह दिया कि उल्टे सीधे कर्म कर कर थाने आते हैं पत्रकारों ने जब विरोध किया तो थाने पर तैनात दरोगा के हस्तक्षेप के बाद मुंशी चुप हुआ मुंशी अपने आप को सैफई का रहने वाला बताता है और सपा अध्यक्ष से सीधे रिश्तेदारी होने की बात कहता है उसका कहना है कि मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता ऐसी खाकी में तैनात सिपाही आखिरकार किस मनसा के आधार पर थानों में काम करते हैं और पीड़ितों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं एक तरफ तो पुलिस कहती है कि पीड़ित की तरफ से तहरीर मिल जाए तो मुकद्दमा दर्ज किया जाएगा क्योंकि 2 दिन पहले इसी क्षेत्र आवलखेड़ाका एक मामला है यहां बाल्मीकि समाज की नाबालिग लड़की के साथ छेड़छाड़ कर दी पुलिस ने दबाव बनाकर दबंगई के चलते पंचायत द्वारा 5 जूता मार कर मामले को रफा-दफा कर दिया और पीड़ित परिवार से लिखा लिया कि हम कोई कार्यवाही नहीं करना चाहते पुलिस कहती है कि पीड़ित तहरीर नहीं दे रहा तो हम कार्रवाई कहां से करेंगे दूसरी तरफ तहरीर मिलने के बाद भी पुलिस ने मुकदमा नहीं दर्ज किया तो इससे साफ जाहिर हो जाता है कि पुलिस मुकद्दमा लिखना ही नहीं चाहती पुलिस को तो केवल पैसा चाहिए पैसा के जरिए बड़े से बड़े अपराध को खत्म कर दिया जाएगा तीसरा मामला 4 दिन पहले बच्चा वाली पुलिया पर ट्रैक्टरों की टक्कर में एक युवक की मौत हो जाने के बाद ट्रैक्टर चालक से ट्रैक्टर ट्रॉली मैं रखें आलुओं की कीमत वसूलने के बाद थाने से आलू की बोरी दी गई आलू बोरी देने के एवज में पुलिस ने ₹12 हजार की रकम वसूली क्या पुलिस पैसा लेकर ही हर कार्य करती है यही जाहिर होता है कप्तान साहब एक नजर इधर डालकर देखें कि कुछ दिन पहले आपके थाना क्षेत्र में ही रिश्वत लेने के मामले में मुंशी सुर्खियों में आया था अब मुंशी फरियादियों को गाली गलौज देता है ऐसा क्यों ऐसे खाकी वर्दी वालों पर कब कार्यवाही होगी

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