दिल्ली भारत बंद आंदोलन हंगामा पथराव चक्का जाम
एससी/एसटी एक्ट में संशोधन किए जाने के विरोध में प्रदर्शन, सवर्ण मोदी सरकार से दिल्ली मोदी सरकार द्वारा SC ST एक्स को लेकर सवर्णों द्वारा नाराज जाहिर की गई जगह-जगह चक्का जाम हंगामा पथराव देखने को मिला- 6 सितंबर को भारत बंद का ऐलान किया गया था सुबह से ही लोग सड़कों पर उतर चुके थे रोड पर चलने वाली गाड़ियां बंद कर दी गई थी दुकान प्रतिष्ठान स्कूल फैक्ट्रियां सभी बंद थी चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था वाहनों की लंबी-लंबी कतारें सड़कों पर लगी हुई थी हाथों में डंडा बैनर लेकर लोग सड़कों पर थे अनेकों जिलों में पुलिस से भी तकरार हुई लेकिन जनता सड़कों पर जमी रही लखनऊ से लेकर आगरा तक आगरा से लेकर लखनऊ तक सभी जगह चक्का जाम रहा आगरा में भी पथराव हुआ गाड़ी तोड़ी गई अन्य जगह भी गाड़ियां तोड़ी गई दिल्ली यूपी हरियाणा मध्य प्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़ उड़ीसा बिहार पंजाब बंगाल आज सभी देशों में भारत बंद का असर देखने को मिला भारत बंद को देखकर मोदी सरकार सदमे में आ गई अनेकों जिले में तो भाजपा के विधायक और सांसदों को गांव में नहीं घुसने दिया दरवाजा ताले लगा दिए गए और उन पर भी पथराव कर दिया गया केंद्र सरकार द्वारा एससी/एसटी एक्ट में संशोधन किए जाने के विरोध में सवर्ण समाज, अखिल भारतीय ब्राह्मण विकास प्रतिष्ठान संगठन एवं अन्यों द्वारा छह सितम्बर को ‘भारत बंद’ के दौरान बदलापुर तहसील में भ्रमण करते हुए जबरन दुकानों व तहसील परिषद के सभी कार्यालय को बंद कराया गया साथ में तहसील परिषद का गेट बंद कर इंदिरा गांधी चौक पर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ कर विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने बताया कि एससी एसटी एक्ट में संशोधन के बाद से सवर्ण समाजों व अन्य लोगों पर इसका गलत उपयोग किया जा रहा है हमें सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुनाए गए फैसले मंजूर है. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को एससी/एसटी एक्ट में बड़ा बदलाव करते हुए कहा था कि इसके अंतर्गत नामजद आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए संबंधित वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की मंजूरी अनिवार्य होगी. इसके अलावा एक पुलिस उपाधीक्षक यह जानने के लिए प्रांरभिक जांच कर सकता है कि मामला इस अधिनियम के अंतर्गत आता है या नहीं. विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार पर आरोप लगाए थे की सरकार ने कोर्ट में दलील ठीक ढ़ंग से नहीं रखी जिसकी वजह से कानून कमजोर हुआ अब फिर दलितों के खिलाफ अत्याचार बढ़ेंगे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में दो अप्रैल को दलितों ने भारत बंद बुलाया था इस दौरान जमकर हिंसा हुई थी. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से आने वाले बीजेपी सांसदों ने भी विरोध में आवाज उठाई थी और अपनी ही सरकार से कहा था कि सरकार अध्यादेश लाकर कानून को पूर्ववत लागू करे. जिसके बाद मोदी सरकार ने एससी/एसटी एक्ट को पूर्ववत लागू करने के लिए संसोधन विधेयक लोकसभा और राज्यसभा से पास कराया. अब इसके विरोध में सवर्ण वर्ग ने आवाज उठानी शुरू कर दी है. अखिल भारतीय ब्राह्मण विकास प्रतिष्ठान संगठन के पदाधिकारियों ने मौके पर पहुंचे उप जिला अधिकारी रमापति बिंद को ज्ञापन सौंपते हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पुनः बहाल करने की मांग की. बंद के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए मौके