रोहतक पत्रकार हत्याकांड में राम रहीम को आजीवन कारावास
किया ये फैसला सही है एक पत्रकार की जिंदगी का कोई मोल नही किया पत्रकार का कोई परिवार नही किया पत्रकार को मुआवजा नही मिलना चाहिए किया पत्रकार के परिवार के बच्चे को नोकरी नही मिलनी चाहिए यदि आपको लगता है मिलनी चाहिए तो कहाँ है सभी पत्रकार संगठन आवाज उठाओ पत्रकार के परिवार को 2 करोड़ का मुआवजा जब पुलिस को मुआवजा दे सकती है सरकार तो पत्रकार को कियो नही चौथा स्तम्भ कहा जाने वाला एक पत्रकार बिना डरे बिना किसी लोभ के ऐसी खबरों को लाता है तो कियो नही उस पत्रकार के लिये आगे बढे
जेल में ही कटेगी राम रहीम की बची जिंदगी, पत्रकार की हत्या में उम्रकैद
बता दें कि यह पूरा मामला 16 साल पुराना है. 2002 में रामचंद्र छत्रपति की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. रामचंद्र छत्रपति लगातार अपने समाचार पत्र में डेरे में होने वाले अनर्थ से जुड़ी ख़बरों को छाप रहे थे. उनके परिवार ने इस संबंध में केस दर्ज कराया था. उनकी याचिका पर अदलात ने इस केस की जांच नवंबर 2003 को सीबीआई के हवाले कर दी थी. 2007 में सीबीआई ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करते हुए गुरमीत सिंह राम रहीम को हत्या की साजिश रचने का आरोपी माना था.
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), पंचकूला की स्पेशल कोर्ट ने राम रहीम मामले में वीरवार को फैसला सुनाया. पत्रकार रामचंद्र छत्रपति मर्डर केस में स्पेशल कोर्ट ने गुरमीत राम रहीम को मरते दम तक उम्रकैद की सजा सुनाई. तीन अन्य दोषियों कुलदीप सिंह, निर्मल सिंह और कृष्ण लाल को भी ताउम्र कैद की सजा सुनाई गई. कोर्ट ने इन पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया.
इससे पहले डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख की सजा को देखते हुए पंचकूला समेत हरियाणा के उन तमाम शहरों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई जहां डेरा सच्चा सौदा का प्रभाव है. हरियाणा पुलिस ने रोहतक की सुनारिया जेल के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी. पुलिस अधिकारियों ने कहा कि रोहतक में कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए लगभग 800 जवानों की तैनाती की गई.
पुलिस ने सुनारिया जेल के पास 10 बैरियर भी स्थापित किए हैं, जहां पुलिस पूरे घटनाक्रम पर नजर रखेगी और वॉकी टॉकी से वरिष्ठ अधिकारी को जानकारी देगी. बाबा के समर्थकों पर नजर रखने के लिए हाईवे के अलावा इलाके में पेट्रोलिंग की जा रही है.
गौरतलब है कि 11 जनवरी को अदालत ने इस मामले में राम रहीम को दोषी करार दिया था. राम रहीम के अलावा 3 और लोगों को आईपीसी की धारा 302 यानी हत्या और 120 बी यानी आपराधिक साजिश के तहत दोषी ठहराया गया है.