भोपाल (बिच्छू रोज़ाना)। प्रदेश में अफसर मौका मिलते ही किसानों के नाम पर फर्जीवाड़ा करने का नहीं छोड़ रहे कोई मोका

भोपाल (बिच्छू रोज़ाना)। प्रदेश में अफसर मौका मिलते ही किसानों के नाम पर फर्जीवाड़ा करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। इसके लिए वे फर्जी कंपनियों का सहारा लेने से भी पीछे नहीं रहते हैं। ऐसे ही कई मामले उद्यानिकी विभाग के सामने आए हैं। अकेले इंदौर-उज्जैन संभाग में ही पौने दो साल में करीब दो दर्जन किसान इन मामलों में शिकायतें दर्ज करा चुके हैं। जिसकी वजह से विभाग को न चाहते हुए भी एक दर्जन पाली हाउस कंपनियों के खिलाफ कार्रवाही करनी पड़ी है। दरअसल उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अफसरों द्वारा मिली भगत कर फर्जी कपनियों के नाम किसानों को दिए जाते हैं। जब कपनियों को किसानों को मिलने वाली अनुदान राशि मिल जाती है तो वे आधा अधूरा काम छोड़ गायब हो जाती हैं। यही नहीं किसानों को दिए जाने वाले उपकरणों के मामले में भी व्यापक गड़बड़ी का खुलासा जांच के बाद हुआ है। इतना ही नहीं, कई पॉली हाउस घटिया क्वालिटी के बनाए गए हैं। अगर ऐसे मामलों की पूरी तरह से निष्पक्ष जांच की जाए तो प्रदेश में यह व्यापमं की तरह बड़ा घोटाला साबित हो सकता है।
विभाग, बैंक में फर्जीवाड़ा
प्रदेश में हर साल सौ से ज्यादा पॉली हाउस बनाए जाते हैं। हर जिले को टारगेट दिया जाता है। आधी राशि सब्सिडी में मिलने के कारण आसानी से टारगेट पूरा हो जाता है, ये पाली हाउस अधिकतम दो एकड़ में बनते हैं। इसके लिए किसान उद्यानिकी विभाग में आवेदन देकर बैंक से लोन लेता है। एक पाली हाउस के निर्माण में करीब तीस लाख रुपए की लागत आती है। जिसकी वजह से विभाग से लेकर बैंक स्तर पर जमकर फर्जीवाड़ा होता है। मिली भगत के चलते सब्सिडी की राशि का एक बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है। विभाग और बैंक के बीच की कड़ी वो प्राइवेट कंपनियां होती है, जो किसान के लिए खेत में पॉली हाउस का निर्माण करते हैं। कंपनियां भी मिली भगत के चलते घटिया किस्म के पॉली हाउस बनाकर खानापूर्ति करती हैं। ऐसे में हर स्तर पर भ्रष्टाचार का खामियाजा किसान को उठाना पड़ता है। पॉली हाउस से किसानों को लाभ होता है, जिसकी वजह से किसान अपने खेत में पॉली हाउस बनाने के लिए प्रयासरत रहता है।
यह कंपनियां हुई ब्लैक लिस्टेड
प्रदेश में पाली हाउस को बढ़ावा देने की राज्य सरकारी की नीति को उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अधिकारी ही पलीता लगा रहे हैं। मालवा क्षेत्र में किसानों की शिकायत के बाद कई प्राइवेट कंपनियों को अपात्र घोषित किया गया। जिन कपनियों को अपात्र घोषित करने की कार्रवाई की गई है, उनमें, पिंक विजन एग्रोटेक (गुजरात), जयमाया ग्रीन्स, (जबलपुर), वीएमवी पॉली हाउस (भोपाल) का एक साल का लाइसेंस रद्द और 10 लाख रुपए राजसात के साथ ब्लैक लिस्टेड किया। बालाजी हॉर्टीकल्चर (बैतूल), इथिक एग्रोटेक (गुजरात), इको स्सिटम ग्रुप (गुजरात), एएस ग्रीन हाउस (महाराष्ट्र), रतनपुरी (रतलाम), परमार इंटरप्राइसेस (भोपाल) को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।

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