आगरा कप्तान की जुबानी कानों सुनी कहानी केबल भारत TV पर

कप्तान बब्लू कुमार की जीवन की कहानी
पत्रकारों को अपने जीवन कहानी से कराया रूबरू पहली पोस्टिंग के दौरान रहने को घर भी नहीं था
6 माह के बच्चे के साथ दोस्त के घर धरती पर सोए थे कप्तान
1 जिले में बैठने को मिली थी लकड़ी की कुर्सी
जीवन मे कई आए उतार-चढ़ाव
किस्मत देती आई साथ जिस जिले में रहते उसी जिले की जनता हो जाती है दीवानी
जिले से जाने के बाद पत्रकारों से बढ़ता है प्रेम कुछ जिलों मैं मतलब के लिए हैं लोग
भूपेन्द्र भारद्वाज
आगरा पुलिस कप्तान बब्लू कुमार होली के बाद पुलिस लाइन स्थित एक प्रेस वार्ता के बाद पत्रकारों से वार्तालाप कर रहे थे! उन्होंने अपनी जीवन लीला के उतार-चढ़ाव के बारे में सभी को बताया! तो पत्रकार भी आश्चर्य में पड़ गए! आखिरकार अधिकारियों के साथ भी ऐसा होता है! तो अन्य लोगों के साथ क्या होता होगा! जीवन में कितनी कठिनाइयां झेलनी पड़ती हैं! उसके बाद आदमी मुकाम तक पहुंच पाता है! जीवन की कहानी को एक एक शब्दों में पिरो कर पुलिस कप्तान बब्लू कुमार ने सभी के सामने रखा! उन्होंने अपनी सब कहानी बताई! जबकि हर कोई अधिकारी बताने से पीछे हटते हैं! कप्तान ने शुरुआत में बताया! कि वह एक इंजीनियर हैं! अमेरिका में नौकरी करते थे! बहुत दिन तक नौकरी की अच्छा खासा पैसा कमाया! लेकिन अपने देश की हिफाजत के लिए दिल में जगह बनी रही! दिल और दिमाग ने कह दिया कि नौकरी नहीं करनी है! अपने देश की सेवा के लिए आगे आना है! अपराधों को खत्म करना है! इसी बीच अमेरिका से आकर कप्तान ने परीक्षा दी! लेकिन पहली परीक्षा में फेल हो गए! फिर भी हार नहीं मानी! दूसरी परीक्षा पास कर ली! और अमेरिका जाना बंद कर दिया! पैसा खूब कमाया था! दोस्तों को जरूरत पड़ी सबको दिया! जब खाकी दामन पर आई तो दिल गदगद होने लगा! पहली पोस्टिंग नोएडा में की गई ! उस समय कप्तान के पास 6 माह का एक बच्चा भी था! नौकरी के लिए गए लेकिन रहने के लिए जगह नहीं थी! उस समय हाड़कपा ने वाली सर्दी पड़ रही थी! कहीं- कोई रहने का ठिकाना नहीं था! एक दोस्त के घर पहुंचे उनके पास भी एक कमरा था! सोने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी! कमरे में दो गद्दे पड़े हुए थे! सर्दी दिल को कपकपा रही थी! अपनी तरफ देखें तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था! बच्चे की तरफ देखें तो आंखों में आंसू भरे हुए थे! करें तो क्या करें, जाएं तो जाएं कहां! जैसा नसीब में है, वैसा ही होगा! एक गद्दे को जमीन पर बिछा लिया! बच्चे को गद्दे पर सुला दिया! दूसरे गद्दे को ऊपर से बच्चे को उड़ा कर सर्दी से बचाया! महीनों सिलसिला ऐसा ही चलता रहा! लेकिन सर्दी ने दिल को झकझोर कर रख दिया! समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार ऐसा भी होता है! लेकिन हार नहीं मानी! लगातार आगे चलते चले गए! समय बीतता चला गया! 1 जिले मैं तैनाती हुई दूसरे जिले में ले जाकर डाल दिया! उस जिले की हालत कोई सोच नहीं सकता था ऐसी थी! जिले के कप्तान को बैठने के लिए लकड़ी की कुर्सी मिलती! कोई साधन नहीं था! उस जिले में उन्हीं लोगों को भेजा जाता था! जिन्हें दंड दिया जाता! कप्तान को समझ नहीं आ रहा था! कि मुझे किस बात का दंड दिया है! और इस जिले में भेज दिया! लेकिन दिल में सेवा की धधकती आग ने सब को जला दिया! कार्यालय में पड़ी कई सालों से धूल चाट रही फाइलों को साफ कर दिया! सुबह 10 बजे पहुंचे तो कार्यालय का ताला बंद मिला! सूचना मिलने के बाद सभी कर्मचारी पहुंचे! और कहने लगे कि आप 10 बजे आ गए! यहां तो 11 बजे से पहले कोई नहीं आता! दोपहर के बाद खाना खाने के लिए गए कार्यालय के अधिकारियों को कहा कि 3 बजे फिर आना है! तो अधिकारियों ने लौटकर जवाब दिया! कि दोबारा यहां कोई नहीं आता! एक बार में ही काम चल जाता है! कप्तान ने सभी से कहा कि नौकरी कर रहे हैं! शाम 6: बजे तक हमें बैठना है ! अधिकारी मूंह की तरफ देखते रह गए! वर्दी पहन कर दूसरे दिन भी पुलिस कप्तान पहुंच गए! तो पुलिस विभाग के कर्मचारी अधिकारियों ने कहा! कि आप वर्दी पहन कर आ गए! यहां तो बिना वर्दी पहन कर आते हैं! कभी कबार वर्दी पहनते हैं! कप्तान ने सभी से कहा! कि सरकार वर्दी के लिए पैसा दे रही है! तो वर्दी क्यों नहीं पहने! सिलसिला चलता रहा! कप्तान आगे बढ़ते गए! कहीं कोई उम्मीद नहीं थी! कि आगे क्या होगा! दिमाग में एक ही विचार था! कि सब खत्म हो गया! किस्मत जागी और दूसरे जिले में भेज दिया गया! थोड़ा सा उस जिले में अंतर मिला! लेकिन कुछ समझ में नहीं आता! धीरे-धीरे कहानी बढ़ती चली गई! एक बार पीएससी में तबादला कर दिया गया! उस जगह भी कप्तान ने अपनी छाप छोड़ दी! कई जिलों में रहने के बाद एक दो ऐसी घटना हो गई जिनके कारण डीजीपी कार्यालय से अटैच कर दिया गया! हर रोज घूमते फिरते कार्यालय जाते फिर वापस चले जाते! धीरे-धीरे अधिकारियों के दिल में जगह बनी और किस्मत ने पलटा मारा ! जिस जगह कोई नहीं जाता था! उस जगह बब्लू कुमार को भेजा जाता! पुलिस कप्तान बबलू कुमार ने भी अपने मन में ठान रखी थी! कि मुझे सेवा करनी है! करता रहूंगा! कितनी भी दिक्कत आए पीछे पैर नही हटेगा! जैसे-जैसे जिलों के चार्ज मिलते गए! विभाग में लोगों के अंदर हलचल मचती चली गई! दर्जनों जिलों के चार्ज लेने के बाद सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मथुरा अन्य जिलों के बाद उसके बाद मोहब्बत की नगरी आगरा का कप्तान बनाए गया! इन दिनों बब्लू कुमार आगरा के पुलिस कप्तान हैं! जिन जिन जिलों में रहे उन जिलों की खाकी कप्तान के पहुंचने पर पसीना पसीना हो जाती! कप्तान भी तुरंत कार्रवाई करते थे! लेकिन समय बदलता चला गया! दिल में अनेकों तरह के विचार आने लगे! फिर तरीका बदल दिया! कि अगर गलती हो जाती है! उसे दंड देना नहीं चाहिए! परंतु अगर गलती करता है! उसकी गलत नियत है! तो उसे तत्काल दंडित किया जाना चाहिए! इसी तरह की भावना के आधार पर इन दिनों कप्तान कार्य करने में लगे हुए हैं! अपने घर जाते हैं! तो कोई पुलिस बल नहीं जाता! नही वर्दी पहन कर जाते! केवल गांव में बब्लू कुमार जाते हैं! कोई अधिकारी नहीं ! अपने विचार बताते हुए कप्तान ने बताया! कि अनेकों जिलों में रहे! कुछ जिले के लोग बहुत ही प्रेम करते हैं! लेकिन ब्रज नगरी और मोहब्बत की नगरी कहे जाने वाले क्षेत्र के लोग अपना मतलब हल करने में ज्यादा माहिर हैं! मथुरा नगरी अपने आप में एक अलग छाप रखती है! कप्तान बब्लू कुमार से जब पत्रकारों ने पूछा ! कि किस जिले के पत्रकार आपको सही लगे! तो कप्तान ने गोलमोल जवाब देते हुए कह दिया! कि मैं जिस जिले से चला जाता हूंँ, उस जिले के पत्रकारों से बाद में प्यार होता है! कई जिला छोड़ कर चला आया! लेकिन उन पत्रकारों से अभी भी बात होती है! होली के त्यौहार को लेकर बात आगे बढ़ गई! कप्तान ने कहा! कि जिन पुलिस वालों के सहयोग से होली के त्योहार को अच्छी तरह से मनाया गया ! ड्यूटी करने वाले ड्यूटी पर लगे रहे! उनको भी त्योहार मनाने का मौका देना चाहिए! इसलिए हमने होली खेलने की छूट दे दी! और पुलिस वालों ने जमकर होली खेली ! जब हम गड्ढा बनवा रहे थे! तो कुछ लोगों ने पूछा कि गड्ढा किस लिए बनवा रहे हो! होली खूब मजेदार खेली गई! पुलिस वालों ने गड्ढे में पुलिस कप्तान को भी डाल दिया! कपड़ा फाड़ होली में कुछ तो कपड़ा फटने के डर से गेट के बाहर से ही चले गए ! जो आए उन्होंने जमकर आनंद लिया! किसी पुलिस वाले को यह महसूस नहीं हुआ! कि उनका त्यौहार फीका रह गया! आनंद के साथ होली का त्यौहार मनाया गया! लेकिन एक बात साफ हो जाती है! कि जिस प्रकार पुलिस कप्तान बब्लू कुमार ने आपबीती बताई ! उससे अंदाजा जरूर लगाया जा सकता है! कि सरकार किसी की भी हो, लेकिन अधिकारियों के साथ भी सौतेला व्यवहार होता है! कप्तान साहब कुछ कहे या ना कहे लेकिन दिल को झकझोर देने वाले दिन भी उनके सामने आए हैं! अब केवल उनकी आस्था पुलिस की सेवा में लगी हुई है! इसके अलावा उन्हें कुछ नहीं दिखाई देता! जहां रहते हैं, वहां की सेवा करते रहते हैं! लेकिन कठिनाइयों से लड़ कर आगे बढ़ना ही जीवन का जीना होता है!

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