आगरा पिता को बेटे ने छत से नीचे फेका दोनों पैर टूटे
आपने हिस्सा बंटवारे को लेकर घर-घर में लड़ाई झगड़े हर रोज होते देखे होंगे हिस्सा बंटवारे को लेकर लड़ाई झगड़े पृथ्वी पर मानव रचना हुई है तभी से ही चले आ रहे हैं लेकिन अब इस मोहब्बत की नगरी आगरा में अपना ही खून अपनों के खून का प्यासा हो गया है 1 पुत्र उसे भी कहते हैं जिसने अपने माता पिता को कावर में रखकर तीर्थों की परिक्रमा कराई थी उसका नाम श्रमण था लेकिन इस कलयुग में हर मां बाप अपने पुत्र को श्रवण बनाना चाहता है लेकिन हर महिला अपने पति को श्रवण कुमार बनता नहीं देख सकती किसी को कोई पता नहीं की उसका पुत्र कब कुपुत्र बन जाए ऐसी अनेकों घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें हिस्सा बंटवारे को लेकर पुत्र ने मां बाप की हत्या तक कर दी हैं जिला मुख्यालय परिसर में बैठा यह वृद्ध किसी दूसरे की पीड़ा से परेशान नहीं है मैं इस पर किसी दूसरे ने अत्याचार किया है यह अपने बेटा का ही शिकार हुआ है बेटा ने वृद्ध पिता को ऐसे घाट दिए हैं जो जीते जी भर नहीं सकते मामला थाना सिकंदरा क्षेत्र का है जहां एक परिवार थाना सहपऊ जिला हाथरस निवासी सिकन्दरा क्षेत्र में मकान बनाकर रहने लगा है उस परिवार मैं 2 पुत्र एक पुत्री है एक पुत्र की शादी एत्मादपुर से हो चुकी है 1 पुत्र एक पुत्री अभी शादी के लिए है लेकिन बड़ा पुत्र अपने पिता से हिस्सा लेने के लिए हर रोज झगड़ा करता है इस झगड़े में उसकी पत्नी और ससुराली जन झगड़े में शामिल होते हैं कई बार वृद्ध माता पिता के साथ मारपीट की गई है और थाने पर शिकायत भी की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई बीते दिनों बंटवारे को लेकर लड़के के साथ ससुराली जन आए और जमकर घर में मारपीट की मारपीट के बाद पिता जाओ मकान की छत पर जाकर बैठ गया तो पुत्र ने पिता को छत से ही नीचे फेंक दिया जिसमें पिता के दोनों पैर टूट गए उस पिता को या नहीं मालूम था कि जो पुत्र इस की गोदी में जन्म ले रहा है वही इसकी मौत का कारण बनेगा जबकि पिता का कहना है कि हिस्सा बंटवारे को लेकर कह दिया है कि बेटी और पुत्र की शादी और हो जाने दो सब कुछ बराबर बराबर बांट लेना लेकिन बड़ा पुत्र मानने के लिए तैयार नहीं है इसकी शिकायत लेकर माता-पिता पुलिस कप्तान कार्यालय न्याय की गुहार लगाने पहुंचे इससे पहले भी थाने पर शिकायती पत्र दिया था लेकिन पुलिस ने पारिवारिक झगड़ा होने की बात कहकर कोई कार्रवाई नहीं की पुलिस भी छोटे-मोटे मामलों में हस्त चेक नहीं करना चाहती क्योंकि अभी तो पुत्र ने पिता को मकान की छत से नीचे ही फेंका था और उसके दोनों पैर टूट गए जब तक पिता की मौत नहीं होती तब तक पुलिस क्या कार्यवाही कर सकती थी पुलिस भी चाहती है कि मामला कुछ बड़ा हो तब जाकर कुछ हस्तक्षेप किया जाए ऐसा यही पहला मामला नहीं है कि पुलिस कुछ नहीं कर रही हर रोज आगरा में दर्जनों ऐसे मामले आते हैं जिसमें पुलिस की भूमिका यह साबित करती है कि अगर समय रहते पुलिस कार्रवाई कर दे तो किसी की जिंदगी बच सकती है अनेकों पुत्रों ने अपने पिता ओं को मौत की घाट उतार दिया है फिर केवल पुलिस बगले झांक टी रह जाती है अगर पहले से आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई हो जाए तो शायद कुछ घटनाएं होने से रोकी जा सकती हैं