आगरा भुखमरी ने छीन ली 5 साल की बच्ची की जान दावे हुए सब फेल

आगरा: भुखमरी ने छीनी 5 साल की बच्ची की जिंदगी

यूपी के आगरा जिले में सैकड़ों समाज सेवी संस्थाएं और लाइन लगाकर नेताओं की भीड़ लगी है लेकिन उन नेताओं की आंख खुलने वाली यह खबर है जो झूठे दावे करते हैं कि कोई भी भूख से नहीं मर सकता दावे तो हवा हवाई होते हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग ही है जिले के अंदर सैकड़ों परिवार ऐसे हैं जहां रोजी रोटी के लाले पढ़ते हैं उन्हें खाने के लिए सुबह से निकलना पड़ता है तब जाकर दो रोटी मिलती है अनेकों परिवार ऐसे हैं जो बिना खाए हुए सो जाते हैं लेकिन उन नेताओं और अधिकारियों को को क्या मतलब चाहे कोई मरे या जिंदा रहे उन्हें तो अपने ऐसो आराम से मतलब भुखमरी के चलते 5 साल की बच्ची की मौत हो गई. बेरोजगारी के चलते बच्ची के परिजन उसका इलाज नहीं करवा सके और बच्ची की भूख से जान चली गई.

आगरा: जनपद से एक सनसनीखेज घटना सामने आई है, जहां भुखमरी की वजह से एक 5 साल की मासूम बच्ची की इलाज के अभाव में मौत हो गई. वहीं बच्ची के अंतिम संस्कार के 2 दिन बाद भी धन के अभाव में परिजन भूखे-प्यासे बैठे हैं और बच्ची की मौत पर गमजदा हैं.

जानकारी देते परिजन.कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू किए गए लॉकडाउन और अनलॉक ने कईयों की जिंदगियों को बर्बाद कर दिया. कई लोग बेरोजगार हो गए. वहीं लाखों की संख्या में मजदूर पलायन को मजबूर हो गए. लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर मध्यम वर्गीय और निचले तबके के लोगों पर पड़ा. बेरोजगारी का आलम यह है कि मजदूर तबके के लोगों को परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है.वहीं आगरा के थाना सदर क्षेत्र में एक ऐसा ही परिवार है, जहां पैसे के अभाव में एक 5 साल की बच्ची का इलाज नहीं हो पाया और उसकी मौत हो गई. इस दिल दहला देनेवाली घटना से इलाके में सन्नाटे का माहौल है.मामला आगरा के थाना सदर अंतर्गत नैनाना जाट ग्राम पंचायत के नगला विधि चंद का है, जहां पप्पू सिंह अपने पैतृक मकान में पत्नी शीला देवी और बच्चों के साथ रहते हैं. लॉकडाउन के पहले पप्पू जूता बनाने का कारीगर था. लेकिन तबीयत खराब होने पर वह घर पर ही रहने लगा. इससे उसके परिवार की जिम्मेदारी उसकी पत्नी शीला पर आ गई, जो मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पाल रही थी, लेकिन इसी बीच लॉकडाउन लगने से शीला का काम बंद हो गया और वह भी बेरोजगार हो गई. कुछ दिनों तक पड़ोसियों ने शीला की मदद की, लेकिन अनलॉक लगने से स्थिति और खराब होने लगी. वहीं, इसी बीच शीला की 5 साल की बेटी सोनिया बीमार पड़ गई. उसके इलाज के लिए शीला मजदूरी का काम खोजने लगी और संयोश वश बीते गुरूवार को शीला को मजदूरी मिली और दूसरे दिन उसे बच्ची का इलाज करवाने डॉक्टर के पास जाना था. लेकिन इसके पहले ही सोनिया (बच्ची) की मौत हो गई. शीला का परिवार अभी भी बच्ची के गम से ज्यादा रोटी की आस में टकटकी लगाए बैठा है. वहीं इस मामले पर कोई भी जिम्मेदार अधिकारी बोलने को तैयार

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